Funny Story In Hindi With Moral! In This Stressful And Tired Life, We People Seeking Some Relaxation And Funny Things Which May Help Us To Relax. We’re Going To Line-Up The Top 10 Funny Story In Hindi For Kids
दोस्तों हम आपके लिए 10+ मज़ेदार कहानियों का संग्रह लाये हैं उम्मीद करते हैं आपको कहानियां पसंद आएंगी-
》मुल्ला नसीरुद्दीन
》बंदर का मज़ाक
》भगवान कहाँ है?
》बेचारे बसीर भाई
》प्रयासों में कमी
》जैसे को तैसा
》संता और सर्दी
》डॉक्टर और चंदु मियां
》तारीफ़ भी महँगी पड़ गई!
》टीचर के सवाल पप्पू के जवाब!
》तारे ही तारे
》चूहे और सरकार
》पति का मुरब्बा
》शैतान पप्पू!
》नकली नोट
एक दिन एक शख्स एक पेड़ पर चढ़ गया। थोड़ी देर बाद उसे लगा कि यहां से नीचे उतरना उतना आसान नहीं है।
अब उसके पास बस एक ही रास्ता था कि वह पेड़ से कूद जाए लेकिन पेड़ इतना ज्यादा ऊंचा था कि उसे लगा कि अगर कूदने की कोशिश की तो चोट लग सकती है।
कोई चारा न देख उसने आसपास से गुजर रहे लोगों से मदद मांगी, लेकिन किसी को कोई तरीका नहीं सूझा।
वहां लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई। तभी भीड़ में से मुल्ला नसीरुद्दीन निकलकर बाहर आए और बोले – घबराओ मत।
मैं कुछ करता हूं। मुल्ला ने एक रस्सी उस आदमी की तरफ फेंकी और बोले कि इस रस्सी को अपनी कमर में कसकर बांध लो। नी
कुछ ही देर में उस आदमी ने रस्सी को अपनी कमर में बांध लिया। मुल्ला ने रस्सी का दूसरा छोर पकड़कर खींचा।
ऐसा करते ही वह आदमी पेड़ से धड़ाम से नीचे आ गिरा। गिरने से उसे बहुत चोट आईं।
लोग मुल्ला पर भड़क गए और बोले : बेवकूफ आदमी, यह क्या किया तूने?
मुल्ला ने भोलेपन से कहा : मैंने पहले भी एक आदमी की इसी तरीके से जान बचाई है।
मैंने इस तरीके को पहले भी आजमाया है, लेकिन मुझे यह याद नहीं आ रहा कि उसे मैंने कुएं में से बचाया था या पेड़ पर से?
एक बार एक बड़े गड्ढे में एक शेर गिर गया।
तभी गड्ढे के पास वाले पेड़ पर बैठा बंदर उसका मजाक बनाने लगा।
बंदर- क्यों शेर तू तो बड़ा राजा बना फिरता है अब आ गयी अक्ल ठिकाने।
ये बोल कर बंदर जोर जोर से हँसने लगा तभी जिस डाल पर वो बैठा था बह टूट गयी और बंदर गड्ढे में जा गिरा।
और गिरते ही बोला- मां कसम….माफी मांगने के लिए कूदा हूँ।
एक गांव में दो भाई रहते थे दोनो बहुत शरारती थे।
पूरा मुहल्ला उनसे परेशान रहता था।
एक बार गांव में एक बहुत पहुचे हुए महात्मा आए।
लोगो का कहना था महात्मा जिसको आशीर्बाद दे दें उसका कल्याण हो जाता था।
पड़ोसन ने बच्चो की माँ को सलाह दी कि बच्चों को महात्मा के पास ले जाओ क्या पता इससे उनकी बुद्धि कुछ ठीक हो जाएं।
मां को उसकी बात पसंद आई और वो पहले छोटे बच्चे को लेकर महात्मा के पास पहुच गयी।
महात्मा ने मां से बाहर इंतेज़ार करने को बोला।
तभी महात्मा बच्चे से पूछते हैं – बेटा तुम भगवान को जानते हो न?
बताओ भगवान कहाँ है?
पर बच्चे ने कुछ जवाब नही दिया।
महात्मा फिर पूछते हैं- बताओ भगवान कहाँ है?
बच्चा फिर कुछ नही बोला, जिससे । महात्मा की थोड़ी चिढ़ सी गयी।
उन्होंने नाराज़गी प्रकट करते हुए तेज़ आवाज़ में कहा तुम्हे सुनाई नही देता मैं कुछ पूछ रहा हु बताओ भगवान कहाँ है?
अचानक बच्चा उठा और बाहर की ओर भागा और घर आकर बेड के नीचे छिपने लगा।
बड़े भाई में पूछा क्या हुआ तो छुप क्यों रहा है।
छोटा भाई- भईया आप भी छुप जाओ।
बड़ा भाई- पर हुआ क्या?
छोटा- अबकी बार हम बडी मुसीबत में फस गए हैं भगवान कहीं गुम हो गया है और लोंगो को लग रहा है कि इसमें अपना हाथ है।
एक बार रमेश नाम का ब्यक्ति बैलगाड़ी में अनाज के बोरे लादकर शहर ले जा रहा था।
तभी अचानक गढ्ढे में बैलगाड़ी पलट गई । रमेश बैलगाड़ी को सीधा करने की कोसिस करने लगा।
थोड़ी ही दूर पर पेड़ के नीचे बैठे राहगीर ने रमेश को आवाज़ दी- अरे भाई परेशान मत हो, आ जाओ पहले मेरे साथ खाना खा लो फिर मैं तुम्हारी गाड़ी सीधी करा दूंगा।
रमेश – धन्यबाद पर मैं अभी नही आ सकता मेरे दोस्त बशीर नाराज़ हो जाएगा
राहगीर- अरे तुमसे अकेले नजी उठेगी गाड़ी, आओ खाना खा लो फिर दोनों मिल कर उठाते है।
रमेश नही बशीर गुस्सा हो जाएगा।
राहगीर- अब मान भी जाओ।
रमेश- ठीक है आप कहते हैं तो आ जाता हूं।
खाना खाने के बाद रमेश बोला चलो चलते है गाड़ी के पास बशीर गुस्सा हो रहा होगा।
राहगीर ने मुस्कुराते हुए कहा तुम इतना डर क्यों रहे हो बैसे इस समय कहाँ होगा बशीर?
रमेश- गाड़ी के नीचे दबा हुआ है।
एक बार जंगल का राजा शेर बहुत बीमार हो गया।
उसे लगा कि अब वो नही बचेगा।
तभी उसने एक बंदर को अपना उत्तराधिकारी बना दिया।
फिर एक दिन एक बकरी अपनी समस्या लेकर बंदर के पास पहुँची।
समस्या सुनने के बाद बन्दर एक डाल से दूसरी डाल पर कूदने लगा, करीब एक घंटे तक कूदा फांदी करने के बाद बन्दर नीचे आया।
तब बकरी ने पूछा- राजा जी इससे मेरी समस्या कैसे हल होगी?
बन्दर- हां समस्या तो हल नही होगी, लेकिन मेरे प्रयासो में कोई कमी हो तो बताओ।
एक जमींदार के लिए उसके कुछ किसान एक भुना हुआ मुर्गा और एक बोतल फल का रस ले आए। जमींदार ने अपने नौकर को बुलाकर चीजें उनके घर ले जाने को कहा। नौकर एक चालाक, शरीर लड़का था। यह जानते हुए जमींदार ने उससे कहा, “देखो, उस कपड़े में जिंदा चिड़िया है और बोतल में जहर है। खबरदार, जो रास्ते में उस कपड़े को हटाया, क्योंकि अगर उसने ऐसा किया तो चिड़िया उड़ जाएगी। और बोतल सूंघ भी ली तो तुम मर जाओगे। समझे?”
नौकर भी अपने मालिक को खूब पहचानता था। उसने एक आरामदेह कोना ढूंढा और बैठकर भुना मुर्गा खा गया। उसने बोतल में जो रस था वह भी सारा पी डाला। एक बूंद भी नहीं छोड़ा।
उधर जमींदार भोजन के समय घर पहुँचा और पत्नी से भोजन परोसने को कहा। उसकी पत्नी ने कहा, “जरा देर ठहरो। खाना अभी तैयार नहीं है।” जमींदार ने कहा, “मैंने जो मुर्गा और रस की बोतल नौकर के हाथ वही दे दो। वही काफी है।”
उसके गुस्से की सीमा न रही जब उसकी पत्नी ने बताया कि नौकर तो सुबह का गया अभी तक लौटा ही नहीं।
बिना कुछ बोले गुस्से से भरा जमींदार अपने काम की जगह वापस गया तो देखा नौकर तान कर सो रहा है। उसने उसे लात मारकर जगाया और किसान द्वारा लाई गई भेंट के बारे में पूछा।
लड़के ने कहा, “मालिक, मैं घर जा रहा था तो इतने जोर की हवा चली कि मुर्गे के ऊपर ढका कपड़ा उड़ गया और जैसा आपने कहा था, वह भी उड़ गया। मुझको बहुत डर लगा कि आप सज़ा देंगें और मैंने बचने के लिए बोतल में जो जहर था वह पी लिया। और अब यहाँ लेटा-लेटा मौत के आने का इंतजार कर रहा था।”
एक बार संता को गांव का सरपंच बना दिया गया। गांव वालों ने सोचा कि छोरा पढ़ा-लिखा है, समझदार है, अगर ये सरपंच बन गया तो गांव की भलाई के लिए काम करेगा।
मौसम बदला, सर्दियों के आने के महीने भर पहले गांव वालों ने संता से पूछा – सरपंच साहब इस बार सर्दी कितनी तेज पड़ेगी।
संता ने गांव वालों से कहा कि मैं आपको कल बताऊंगा। संता तुरंत ही शहर की ओर निकल गया। वहां जाकर मौसम विभाग में पता किया तो मौसम विभाग वाले बोले – सरपंच साहब इस बार बहुत तेज सर्दी पड़ने वाली है।
संता भी दूसरे दिन गांव में आकर ऐसा ही बोल दिया। गांव वालों को विश्वास था कि अपने सरपंच साहब पढ़े-लिखे हैं। शहर से पता करके आये हैं तो सही कह रहे होंगे। गांव वालों की नजर में संता की इज्जत और बढ़ गयी।
तेज सर्दी पड़ने की बात सुनकर गांव वालों ने सर्दी से बचने के लिए लकड़ियां इकट्ठी करनी शुरू कर दी।
महीने भर बाद जब सर्दियों का कोई नामोंनिशान नहीं दिखा तो गांव वालों ने संता से फिर पूछा। संता ने उन्हें फिर दूसरे दिन के लिए टाला, और शहर के मौसम विभाग में पहुंच गया।
मौसम विभाग वाले बोले कि सरपंच साहब आप चिंता मत करो। इस बार सर्दियों के सारे रिकॉर्ड टूट जायेंगे।
संता ने ऐसा ही गांव में आकर बोल दिया। संता की बात सुनकर गांव वाले पागलों की तरह लकड़ियां इकट्ठी करने लग गए। इस तरह पंद्रह दिन और बीत गए लेकिन सर्दियों का कोई नामोंनिशान नहीं दिखा। गांव वाले संता के पास आये। संता फिर मौसम विभाग जा पहुंचा।
मौसम विभाग वालों ने फिर वही जवाब दिया कि सरपंच साहब आप देखते जाइये कि सर्दी क्या जुल्म ढाती है। संता फिर से गांव में आकर ऐसा ही बोल दिया। अब तो गांव वाले सारे काम-धंधे छोड़कर सिर्फ लकड़ियां इकट्ठी करने के काम में लग गए। इस तरह पंद्रह दिन और बीत गए। लेकिन सर्दियां शुरू नहीं हुईं।
गांव वाले संता को कोसने लगे। संता ने उनसे एक दिन का वक्त और मांगा। संता तुरंत मौसम विभाग पहुंचा तो उन्होंने फिर ये जवाब दिया कि सरपंच साहब इस बार सर्दियों के सारे रिकॉर्ड टूटने वाले हैं। अब संता का भी धैर्य जवाब दे गया।
संता ने पूछा – आप इतने विश्वास से कैसे कह सकते हैं।
मौसम विभाग वाले बोले कि सरपंच साहब हम पिछले दो महीने से देख रहे हैं। पड़ोस के गांव वाले पागलों की तरह लकड़ियां इकट्ठी कर रहे हैं। इसका मतलब सर्दी बहुत तेज पड़ने वाली है।
संता वहीं चक्कर खाकर गिर गया।
डॉक्टर बीमार चंदू मियां से-कैसी तबीयत है मियां?
चंदू मियां-ठीक होती तो आपके पास काहे आते..
डॉक्टर-मैंने जो दवा दी थी वो खा ली थी।
चंदू मियां-कैसी बातें करते हैं, दवा तो बोतल में भरी हुई थी। खाली काहे होगी?
डॉक्टर-अमा, मेरा मतलब है, दवा पी ली थी।
चंदू मियां-क्या कह रहे हैं, आपने ही तो दी थी दवा पीली नहीं लाल थी।
डॉक्टर-अबे मेरा मतलब है दवा को पी लिया था?
चंदू मियां-डॉक्टर साहब अपना इलाज कराओ दवा को नहीं मुझे पीलिया था।
डॉक्टर सिर पीटते हुए-तू मुझे पागल कर देगा।
चंदू मियां-मेरी नजर में पागलों का एक उम्दा डॉक्टर है।
डॉक्टर-मेरे बाप यहां से जाने का क्या लेगा।
चंदू- बस 500 रुपए दे दो।
डॉक्टर- ये ले 700 और दफा हो जा।
चंदू- डॉक्टर साहब अगली बार दिखाने कब आना है!
डॉक्टर- कोई जरूरत नहीं, तू बिल्कुल ठीक है।
चंदू- मैं ठीक हूं तो फिर तुमने मुझे पलंग पर लिटाकर शर्ट उतरवाकर सांस लेने को क्यों कहा।
डॉक्टर-मैं तुम्हारा चेकअप कर रहा था।
चंदू-जब मैं ठीक हूं तो तुम मेरा चेकअप क्यों कर रहे थे?
डॉक्टर-गलती हो गई थी मेरे बाप।
चंदू- गलती नहीं, तुम मेरी इज्जत लूटना चाहते थे।
डॉक्टर-ये क्या कह रहे हो यार बाहर और मरीज बैठे हैं मेरा पूरा स्टाफ है मेरी इज्जत का सवाल है।
चंदू- पहले ये बताओ कि मेरी इज्जत क्यों लूटना चाहते थे?
डॉक्टर-यार मैं भला तुम्हारी इज्जत क्यों लूटूंगा?
चूंदू- तो फिर किसकी इज्जत लूटना है तुम्हें?
डॉक्टर-यार मुंह बंद करने का क्या लेगा।
चंदू- एक काम करो 1000 रुपए दे दो।
डॉक्टर-ये ले और दफा हो जा यहां से।
चंदू-डॉक्टर साहब अगली बार कब आना है?
डॉक्टर-कभी मत आना मेरे ससुर मैं ये क्लीनिक बंद करके आज ही हरिद्वार तीरथ करने जा रहा हूं।
तेरे कारण इस दुनिया से मेरा दिल उठ गया है!
एक आदमी की शादी को 20 साल हो गए थे लेकिन उसने आज तक अपनी पत्नी के हाथ से बने खाने की तारीफ नहीं की।
एक दिन जब वो दफ्तर से घर वापस आ रहा था तो रास्ते में उसे एक बाबा मिले। बाबा ने उस आदमी को रोका और कुछ खाने को माँगा तो आदमी ने बाबा को खाना खिला दिया। बाबा आदमी से बहुत प्रसन्न हुए तो उन्होंने आदमी से कहा कि अगर उसे कोई समस्या है तो बताओ, हम उसका हल कर देंगे।
आदमी बोला, “बाबा जी, बहुत समय से कोशिश कर रहा हूँ लेकिन काम में तरक्की नहीं हो रही।”
बाबा: बेटा, तुमने अपनी पत्नी के खाने की कभी तारीफ नहीं की। अपनी पत्नी के खाने की तारीफ करो, तुम्हें अवश्य तरक्की मिलेगी।
आदमी बाबा को धन्यवाद बोल कर चल दिया।
घर पहुँच कर उसकी पत्नी ने खाना परोसा, आदमी ने खाना खाया और खाने की जम कर तारीफ की।
पत्नी एक दम से उठी और रसोई घर से बेलन लेकर आई और आदमी की पिटाई शुरू कर दी।
आदमी: क्या हुआ? मैं तो तुम्हारे खाने की तारीफ कर रहा हूँ।
पत्नी: 20 साल हो गए आज तक तो खाने की तारीफ नहीं की और आज जब पड़ोसन खाना दे कर गयी है तो तुम्हें ज़िन्दगी का मज़ा आ गया।
टीचर: टीपू सुल्तान की मृत्यु किस युद्ध में हुई थी?
पप्पू: उनके आखिरी युद्ध में।
टीचर: गंगा किस स्टेट में बहती है?
पप्पू: लिक्विड स्टेट में।
टीचर: महात्मा गांधी का जन्म कब हुआ था?
पप्पू: उनके जन्मदिन के दिन।
टीचर: 15 अगस्त को क्या होता है?
पप्पू: 15 अगस्त।
टीचर: 6 लोगों के बीच 8 आम कैसे बांटे?
पप्पू: मैंगो शेक बनाकर।
टीचर: अगर मेरे एक हाँथ में १० संतरे हो और दुसरे में उसके दुगने से पांच कम और मैं उनमे से तीन शीला को और दो मुन्नी को दे दिए तो मेरे पास क्या है ?
पप्पू: दो बहुत बड़े हाँथ जिसमे इतने सारे संतरे समा सकते है
टीचर: “एक दिन मेरा देश भ्रष्टाचार मुक्त होगा “ – ये किस टेंस (काल) का वाक्य है ?
पप्पू: फ्यूचर इम्पॉसिबल टेंस .
टीचर: राम की लम्बाई 5 फीट है और श्याम का घर उसके स्कूल से चार किलोमीटर दूर है , तो ये बताओ की मेरी उम्र क्या है ?
पप्पू: ४४ साल
टीचर: सही जवाब ! तुमने कैसे निकाला ?
पप्पू: मेरे बड़े भाई की उम्र २२ साल है … वो आधा पागल है … तो आप पूरे पागल है तो २२ का दुगना – ४४ …
टीचर: बताओ की कुतुबमीनार कहा है ?
पप्पू: नहीं पता
टीचर:जाओ जाके पिछली बेंच पर खड़े हो जाओ
पप्पू: क्यू? वहाँ से कुतुबमीनार दिखेगा क्या ?
टीचर:उत्तरी ध्रुव पर रहने वाले दो जानवरों का नाम बताओ ?
पप्पू: पोलर बियर और पोलर बियर की पत्नी
टीचर:अगर दस लोग मिल कर १० दिन में एक गड्ढा खोदते हैं . उसी गड्ढे को 5 लोग कितने दिन में खोदेगे?
पप्पू: तुरंत ! गड्ढा तो पहले से खुदा हुआ है ?
महान जासूस शर्लाक होम्स और उनके मित्र डॉक्टर वाटसन एक बार जंगल में कैंप लगाने और पिकनिक मनाने पहुचे .
डॉक्टर वाटसन ने पूछा – होम्स ! तुम कठिन से कठिन केस सुलझा लेते हो .. ऐसा कैसे कर लेते हो .
शर्लाक होम्स – देखो तुमको किसी भी चीज़ के तह तक जाना हो तो तर्क लगाओ .. किसी चीज़ को वो जैसा हैं वैसा ही मत देखा .. सोचो की अगर ये ऐसा है तो ऐसा क्यू हुआ ..
डॉक्टर वाटसन – मैं भी तुम्हारे तरह महान जासूस बनाना चाहता हूँ
शर्लाक होम्स – ठीक हैं आज से हर चीज़ में तर्क लगाना शुरू करो
देर रात तक बाते होती रही और बाद में खाना खा कर दोनों अपने टेंट के अन्दर जाके सो गए ..
रात में होम्स ने अचानक से डॉक्टर को जगाया ..
शर्लाक होम्स – वाटसन ! ऊपर देखो … तुमको क्या दिखता हैं ?
डॉक्टर वाटसन – मुझे असंख्य तारे दिख रहे हैं ..
शर्लाक होम्स – तो इसका क्या मतलब हुआ ?
डॉक्टर वाटसन समझ गए की उनको तर्क लगा कर बोलना है और जो जैसा है वो वैसा क्यू है और जो जैसा नहीं है वो वैसा क्यू नहीं है इत्यादि इत्यादि .. वो अपना चश्मा लगा के बैठ गए और गला साफ़ करके बोलने लगे ..
डॉक्टर वाटसन – एस्ट्रोनॉमी के अनुसार इसका मतलब हैं की ब्रह्माण्ड में लाखो तारामंडल हैं और करोडो ग्रह .
ज्योतिष के अनुसार मुझे लगता है शनि इस वक़्त सिंह लग्न में है
समय विज्ञान से मैं बता सकता हूँ की इस वक़्त पौने तीन बजे है
अध्यात्म के अनुसार मैं कहता हूँ की भगवान कितना शक्तिशाली है जो इतने तारे और ग्रह बनाये और हम कितने छुद्र
मौसम विज्ञान से बोलू तो आसमान साफ़ है और कल एक सुबह तेज़ धुप खिलेगी
शर्लाक होम्स की तरफ देख कर बोले – तुमको क्या लगता हैं होम्स?
शर्लाक होम्स ने गहरी सांस खिंची और एक मिनट चुप रह के चिल्लाया – अबे गधे !! इसका मतलब ये है की किसी ने हमारा टेंट चुरा लिया है … और हम खुले आसमान के नीचे है …
दोपहर तक यह बात एक समस्या के रूप में सचिवालय के सारे कॉरीडोरों में घूमने लगी कि दफ्तर में चूहे काफी हो गए हैं, क्या किया जाए ?
‘‘मेरी तो आधी रैक ही खा डाली।’’
‘‘अरे तुम्हारी फाइलें तो चलो बाहर थीं। बेचारे दावत का माल समझकर कुतर गए होंगे। मेरी तो आलमारी में बंद थी। लोहे की आलमारी में…गोदरेज, समझे !’’
‘‘अच्छा ! कमाल हो गया। गोदरेज की अलमारी में से खा गए !’’ आश्चर्य ने गुप्ताजी का चश्मा हटवा दिया।
‘‘ये बात मेरी समझ से भी बाहर है कि आखिर उसमें घुसे कैसे ? सूत भर भी तो रास्ता नहीं है उसमें जाने का।’’
‘‘अजी घुसने की जरूरत ही क्या है, अंदर ही घर होगा उनका। घुसे तो आप हैं उनके घर में।’’ किसी ने वर्माजी को छेड़ा।
‘‘लकड़ी का तो सुना है, चूहे काट सकते हैं, पर लोहा ! स्टील ! मान गए भाई, चूहों को भी। आजादी के जितने पुराने दस्तावेज थे, सबका चूरन बना दिया दुष्टों ने।’’
‘‘सर ! जिधर मैं बैठती हूँ, वहां भी बहुत हैं। इसीलिए तो मैं अपने पास कोई फाइल नहीं रखती।’’
‘‘और इसलिए, मैं आपसे फिर कह रहा हूं कि आप अपनी सीट मेरे कमरे में ही लगवा लें। दिल में जगह होनी चाहिए…मुझे तो कोई तकलीफ नहीं होगी।’’
तो फिर क्या करना चाहिए ?
‘‘सर ! हमें तुरंत प्रशासन को इत्तिला करनी चाहिए। ये उनका काम है–ड्यूटी लिस्ट के अनुसार।’’
‘‘और क्या ? आखिर प्रशासन करता क्या है जो उनसे चूहे भी नहीं मारे जाते।’’
‘‘अजी क्या पता इन्होंने खुद चूहे मंगवाकर छोड़ दिए हों। ऑडिट वालों को कह तो भी देंगे कि सारे रिकार्ड चूहे खा गए, अब कहां से लाएं ?’’
‘‘मामला गंभीर है सर ! हमें तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।’’ बड़े बाबू ने सबको जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाया।
‘‘हां सर ! इससे गंभीर बात क्या हो सकती है ! जिन रिकार्डों को द्वितीय विश्व-युद्घ में जापान नहीं छीन पाया उसे आजाद भारत के ये चूहे इतने मजे-मजे में हजम कर गए और कानों-कान पता भी नहीं चला !’’
‘‘सर, आपको कब पता चला ?’’
‘‘आज ही, मैंने तो ये आलमारी दो साल से खोली ही नहीं थी। आज जरा ये डायरी रखने के लिए जैसे ही ये अलमारी खोली तो ये माजरा…’’
‘‘अच्छा हुआ सर ! वरना ये नई डायरियां भी खा जाते।’’
‘‘नहीं, वो मैं कभी नहीं करता। नई डायरियां तो मैं सीधे घर ही ले जाता हूं।’’
‘‘सर ठीक कहते हैं, चूहों की जाति का क्या भरोसा। इनके लिए नई-पुरानी, गोरी-काली सब बराबर हैं।’’
तो फिर क्या किया जाए ? प्रश्न गंभीर से भी बड़ा होता जा रहा था।
‘‘सर, मैं एक डिटेल नोट तैयार करता हूं। चूहे कब आए ? ये बिल्डिंग कब बनी ? शुरू में कितने थे और आज कितने ? हर पंचवर्षीय योजना में उनका प्रतिशत कितना बढ़ा है ? किस कमरे में सबसे ज्यादा हैं और किसमें सबसे कम ? कितनी जातियां हैं इनकी, और हर जाति कितनी उम्र तक जिंदा रहती है। इन्होंने प्रतिवर्ष कितनी फाइलें कुतरी हैं और किस विभाग की सबसे ज्यादा ? आसपास के किन-किन मंत्रालयों में उनका आना-जाना है।’’
‘‘सर, आप मानें या न मानें, इसमें विदेशी हाथ भी हो सकता है। जब जम्मू, पंजाब और आसाम में गुपचुप आतंकवादी उतारे जा सकते हैं तो ये तो चूहे हैं। सोचा होगा, हम दुश्मनों को बरबाद करेंगे और चूहे उनके रिकार्डों को। हमारी तो सारी मेहनत पर ही पानी फिर गया।’’
‘‘कब तक तैयार हो जाएगा ये नोट ?’’
‘‘सर ! ज़्यादा टाइम नहीं लगेगा। अभी तो मैं मच्छरों वाली रिपोर्ट बना रहा हूं। आप हुक्म दें तो मैं उसे बीच में छोड़कर पहले इसे शुरू कर दूं।’’
‘‘सर ! मच्छरों वाली रिपोर्ट तो बरसात के बाद भी बन सकती है। और फिर मच्छर-मलेरिया तो आजादी से भी पहले से चल रहा है। महीने-दो-महीने में ही क्या बिगड़ जाएगा। कहिए तो सर, मैं अभी टूर प्रोग्राम बनाकर लाता हूं। पटना, लखनऊ, भोपाल, कलकत्ता के सचिवालयों की स्थिति पर भी हमारी रिपोर्ट में कुछ होना चाहिए, आखिर हम केंद्र सरकार के नुमाइंदे हैं।’’
‘‘सर, मेरा मानना है कि इसमें रूस का अनुभव बहुत महत्त्वपूर्ण हो सकता है। जारशाही के समय कहते हैं कि ऐसे-ऐसे चूहे हो गए थे जो आदमियों पर भी हमला करने लगे थे।’’
‘‘अरे ! ये तो बहुत खतरनाक बात है। यहां किसी पर हमला हो गया तो डिपार्टमेंटल एक्सन हो जाएगा।’’ मातहतों की गंभीरता से सर घबराए जा रहे थे।
‘‘सर ! हमें तो अपनी सीट पर बैठने में भी डर लगता है। कम से कम कैंटीन में चूहे तो नहीं हैं।’’ स्टेनो बोली।
बूढ़ा गरीबदास एक कोने में अपने काम में व्यस्त था। इतनी लंबी-लंबी बहसें तो उसने अंग्रेजों के जमाने में भी नहीं सुनी थी और वह भी चूहों पर। आखिर जैसे ही उसके कान इस चक-चक से पकने को हुए, उसने सुझाव देना ही उचित समझा। ‘‘रुपये दो रुपये की दवा आएगी। आटे की गोलियों में मिलाकर रख देते हैं, चूहे खत्म। घर पर भी तो हम यही करते हैं।’’
‘‘गरीबदास, ये तुम्हारा घर नहीं है, सरकारी दफ्तर है। परमिशन ले ली है दवा लाने की ? जहर होता है जहर–असली। उठाकर किसी बाबू ने खा ली तो ? बंधे-बंधे फिरोगे। नौकरी तो जाएगी ही, पेंशन भी बंद हो जाएगी प्यारे !’’
गरीबदास सिकुड़कर पीछे बैठ गया।
‘‘ये तो वही रहेगा जिसे कहते हैं…’’
‘‘सर, मैं एक बात और कहना चाहता था ?’’
‘‘कहो मिस्टर गुप्ता ! जल्दी कहो। मेरे पास इतना वक्त नहीं है कि उसे बेकार की बहस में गवाऊं। मुझे तीन बजे एक सेमिनार में जाना है।’’
गुप्ताजी सर के कानों तक गरदन लंबी करके फुसफुसाने लगे, ‘‘सर मिस्टर सिंह को अमेरिका भिजवा दो। यह इस बीच वहां की रिपोर्ट ले जाएगा। एक तो हमें कम्युनिस्ट देश के साथ-साथ कैपिटलिस्ट देश की जानकारी भी होनी चाहिए, वरना वित्त मंत्रालय हमारे प्लान को स्वीकृत नहीं करेगा और दूसरे सिंह साहिबान भी चुप बने रहेंगे, वरना कहेंगे अपने अपनों को (सवर्णों) तो विदेश भेज दिया और हमें यहां चूहों से कटवाने के लिए छोड़ दिया। सामाजिक न्याय का भी तो ध्यान रखना है।
मिस्टर गुप्ता की गरदन जब लौटकर पीछे हुई तो सर उसे गर्वित नजरों से देख रहे थे।
‘‘तो ठीक है इस टॉप प्रायरटी दी जाए।’’
यदि आपके पास पति है, तो कोई बात नहीं। न हो तो अच्छे, उत्तम कोटि के, तेज-तर्रार पति का चुनाव करें। क्योंकि जितना बढ़िया पति होगा, मुरब्बा भी उतना ही बढ़िया बनेगा। दागी पति कभी भी प्रयोग में न लाएँ। आवश्यकता से अधिक पके का चुनाव करने से भी मुरब्बा जल्दी खराब हो सकता है। नए ताजे पति का मुरब्बा डाल देने ठीक होता है। नहीं तो मौसम बदलते ही, अन्य सुन्दरियों के सम्पर्क में आने से उसके खराब होने की सम्भावना है।
अभी से मुरब्बा डालकर रखेंगी, तो जीवन भर उंगलियाँ चाटकर, चटखारे लेकर उसका आनन्द उठा सकेंगी। आपके घर की शोभा बढ़ेगी। भविष्य में आर्थिक दृष्टि से लाभ होगा। मुरब्बा डला पति मर्तबान के दायरे में ही रहता है। ट्रान्सपोर्टेशन में भी आसानी होती है। किसी भी मौसम में उसका उपयोग कर सकती हैं। पड़ोसियों और सहेलियों को जला सकती हैं।
आवश्यक सामग्री : प्रेम की चीनी, पति के बराबर तोल के मुस्कान की दालचीनी, हँसी की इलायची, जीवन के रंग, आवश्यकतानुसार नैनों की छुरी, एक मर्तबान।
विधि : पति को धो-पोंछकर साफ करें। मन के ऊपर लगी धूल अच्छी तरह रगड़कर दिल के कपड़े से पोंछ दें। पति चमकने लगेंगे। फिर प्रेम की तीन-तार चाशनी बनाएँ। इसमें पति को पूरा-का-पूरा डुबो दें। कम से कम हफ़्ते भर तक डुबोकर रखें। गरम सांसों की हल्की आंच पर पकने दें। सास-ननदों को पास न आने दें। पड़ोसिनों (विशेष कर जवान) के इनफ़ेक्शन से बचाकर रखें। इनके संपर्क में आने से खराब होने का भय रहता है। पति पूरी तरह प्रेम की चाशनी में सराबोर हो गए हैं, इसकी गारंटी कर लें। मुस्कान की दालचीनी, हँसी की इलायची, जीवन के रंग मिलाकर अच्छी तरह हिला लें।
लीजिए, आपके पति का मुरब्बा तैयार है। जब जी में आए इसके मधुर स्वाद का आनन्द लीजिए।
सावधानियाँ : बीच-बीच में नाराजगी की धूप गर्मी दिखाना जरूरी है, नहीं तो फफूंदी लग सकती है। पड़ोसिनों और सहेलियों की नज़रों से दूर रखें। यदा-कदा चल कर देखती रहें। अधिक चीनी हो गयी हो तो झिड़कियों के पानी का छिड़काव करें। कभी-कभी ज्यादा मिठास से भी मुरब्बा खराब हो जाता है। चीटिंयाँ लग सकती हैं।
विशेष सावधानियां :-
खाई-खेली औरतों से बचाकर रखें।
मर्तबान तभी खोलें जब मुरब्बा खाना हो
एक आदमी नकली नोट छपता था . एक दिन गलती से उसने पंद्रह रूपये की एक नोट छाप दी.. अब पंद्रह रूपये की नोट आती तो हैं नहीं ..
उसने बहुत सोचा – “शहर में तो सब समझदार लोग होते हैं . अगर ये नोट यहाँ चलाने गया तो मैं पकड़ा जाऊंगा. हाँ अगर किसी दूर दराज़ के गाँव में गया तो शायद ये चल जाए .. “
ये सोच कर वो बहुत दूर बसे एक छोटे से गाँव में गया ..
उसने देखा की लोहार लोहे की धौकनी में काम कर रहा हैं ..
उसने लोहार से कहा – “अरे भाई ! मेरे एक नोट का छुट्टा करा दो .. “
ये कहके उसने पंद्रह रुपये का नोट आगे बढ़ा दिया …
लोहार ने अपना हाँथ पोंछा और नोट को पकड़ कर देखने लगा … साथ ही साथ उसने नोट छापने वाले को भी एक नज़र देखा ..
उस आदमी की तो हलक सुख गयी … उसे लगा “लगता है लोहार ने पकड़ लिया …”
लोहार बोला – “भाई जी ! मेरे पास पंद्रह रूपये शायद ना हो .. मैं चौदह रूपये दे सकता हूँ “
नोट छापने वाले ने सोचा – “अरे चलो मेरा क्या जाता है .. चौदह ही सही”
उसने लोहार से कहा – “अब पंद्रह मिलते तो अच्छा होता .. पर लाईये चौदह ही दें दें ..”
लोहार अन्दर गया और बहार आके उसको पैसे पकड़ा दिए …
उस आदमी ने गिनना चाहा तो देखा – दो सात रूपये के नोट हैं …
बिना कुछ कहे वो वह से चला गया …
एक बार एक एक बुज़ुर्ग आदमी ने देखा कि पप्पू घर के दरवाज़े पर लगी घंटी बजाने कि कोशिश कर रहा होता परन्तु उसका हाथ घंटी तक नहीं पहुँच पा रहा होता है, यह देख बुज़ुर्ग आदमी पप्पू के पास गया और उस से पूछा, “क्या हुआ बेटा?”
पप्पू: कुछ नहीं मुझे यह घंटी बजानी है पर मेरा हाथ नहीं पहुँच रहा तो क्या आप मेरे लिए ये घंटी बजा देंगे?
यह सुन बूढ़ा आदमी तुरंत हाँ कर देता है और घंटी बजा देता है, और घंटी बजाने के बाद पप्पू से पूछता है, “और बताओ बेटा क्या मै तुम्हारे लिए कुछ और कर सकता हूँ?”
यह सुन पप्पू बोला, “हाँ अब मेरे साथ भाग बुढ्ढे वरना तू भी पिटेगा अगर मकान का मालिक बाहर आ गया तो।”
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धन्यबाद:
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